वाराणसी के माता अन्नपूर्णा का दरबार,जहां महादेव स्वयं करते है जगत कल्याण के लिए याचना,सिर्फ चार दिन के लिए ही खुलता है दरबार

वाराणसी।उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी (काशी)में स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दरबार में स्वयं काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ जगत कल्याण के लिए याचक बन जाते है।स्वर्णमयी अन्नपूर्णेश्वरी मंदिर का कपाट धनतेरस से लेकर भाई दूज तक सिर्फ चार या पांच दिनों के लिए ही आम श्रद्धालुओं के लिए खुलते हैं। इन चार दिनों में लाखों श्रद्धालु अन्नपूर्णेश्वरी के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन करते हैं। मां के दरबार में दर्शन करने आने वालों को मां के खजाने के रूप में चावल, धान का लावा और सिक्का (अठन्नी) दिया जाता है। यह सिक्का श्रद्धालुओं के लिए किसी स्वर्णमुद्रा से कम नहीं है। काशी में मान्यता है कि मां अन्नपूर्णेश्वरी के इस खजाने को जो भी भक्त पाता है उसे वह अपने लॉकर या धन रखने की जगह में रखता है। उस पर मां की कृपा बनी रहती है और उसे पूरे वर्ष धन-धान्य की कमी नहीं होती है। इसी मान्यता के वशीभूत स्वर्णमयी अन्नपूर्णेश्वरी के दर्शन और खजाने के प्रसाद के लिए देश भर से श्रद्धालु मां के चौखट पर आते हैं। मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार धनतेरस के दिन 18 अक्टूबर को मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। चार दिनों तक श्रद्धालु मां अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी, महालक्ष्मी और महादेव के रजत विग्रह के दर्शन कर सकेंगे। धनतेरस पर इस बार बहुत ही शुभ योग निर्मित हो रहा है। देश में समृद्धि रहेगी और कोष भरा रहेगा।
बताते चले मंदिर में मां की दपदप करती ममतामयी ठोस स्वर्ण प्रतिमा कमलासन पर विराजमान और रजत शिल्प में ढले काशीपुराधिपति की झोली में अन्नदान की मुद्रा में हैं। दायीं ओर मां लक्ष्मी और बायीं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है। काशी में मान्यता है कि जगत के पालन हार काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ याचक के भाव से खड़े रहते हैं। बाबा अपनी नगरी के पोषण के लिए मां की कृपा पर आश्रित हैं। कहा जाता है कि वर्ष 1775 में जब श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तब पार्श्व में देवी अन्नपूर्णा का मंदिर था। स्वर्णमयी प्रतिमा की प्राचीनता का उल्लेख भीष्म पुराण में भी है।
मंदिर से जुड़े पौराणिक कथाओं में जिक्र है एक बार काशी में अकाल पड़ा था। लोग भूखे मर रहे थे। तब महादेव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। मां ने भिक्षा के साथ-साथ महादेव को यह वचन भी दिया कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोएगा। यह भी कहा जाता है कि काशी में आने वाले हर किसी को अन्न मां के ही आशीर्वाद से प्राप्त होता है।
-पूरी रात जागेंगे श्रद्धालु, दरबार में अन्नकूट महोत्सव की तैयारियां शुरू
माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन को लेकर मंदिर में तैयारियां चल रही है। मंदिर प्रबंधन और जिला प्रशासन के अफसरों ने इसकी तैयारी कर ली है। भीड़ नियंत्रण के लिए सुरक्षा व्यवस्था का खाका तैयार किया गया है। मंदिर में उमड़ने वाली लाखों की भीड़ की सुरक्षा, मंदिर में अस्थाई सीढ़ियां, प्रवेश-निकास और बैरिकेडिंग आदि की व्यवस्था को अंन्तिम रूप दिया जा रहा है। मंदिर और आसपास के क्षेत्रों में भी सुरक्षा बढ़ाई गई है। सुरक्षा तैयारियों के साथ मंदिर में अन्नकूट महोत्सव की भी तैयारियां चल रही है। अन्नकूट महोत्सव में चढ़ने वाले मिष्ठान्न, नमकीन और लड्डुओं को तैयार करने के लिए महिलाएं जुट गई हैं। मंदिर में स्वच्छता और भोग के पवित्रता को लेकर भी मंदिर प्रबंधन सतर्क है।
–धनतेरस पर्व 18 अक्टूबर को
इस बार धनतेरस पर्व 18 अक्टूबर को है। सनातनी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर, शनिवार की दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 19 अक्टूबर, रविवार की दोपहर 1 बजकर 51 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार 18 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। ज्योतिषविद रविन्द्र तिवारी ने बताया कि धनतेरस पर्व पर इस बार शुक्र व चंद्रमा कन्या राशि में बैठेंगे, जिससे पर्व का खास महत्व है। धनतेरस पर इस बार कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन ब्रह्म योग और बुद्धादित्य योग एक साथ बन रहे हैं। इससे देश और समाज पर भी सुखद असर रहेगा।